राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत मोदी सरकार भारत में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए कई बड़े बदलाव करने जा रही है. केंद्र सरकार 78 साल पुराने ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE), 67 साल पुराने यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC), और 28 साल पुरानी नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) को खत्म करके हायर एजुकेशन के लिए एक ही नियामक यानी रेगुलेटिंग बॉडी बनाने की तैयारी कर रही है. इसे हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (HECI) नाम दिया जाएगा.
मेडिकल और लॉ कॉलेजों पर नहीं होगा लागू
सिंगल हायर एजुकेशन रेगुलेटिंग बॉडी की योजना लंबे समय से विचाराधीन है, लेकिन हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि जल्द ही इसका बिल पार्लियामेंट में पेश किया जाएगा. ये बिल यूजीसी, AICTE और NCTE की जगह लेगा और सिंगल रेगुलेटिंग बोर्ड की तरह काम करेगा. हालांकि मेडिकल और लॉ कॉलेजों पर ये लागू नहीं होगा.
शिक्षा मंत्री ने कहा, “हम जल्द ही संसद में एचईसीआई विधेयक लाएंगे. उसके बाद स्थायी समिति की भी जांच होगी लेकिन हमने हर चीज के लिए व्यापक काम शुरू कर दिया है. तीन प्रमुख कार्यक्षेत्र हैं. पहली भूमिका नियामक की है, यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ) करता है.इसने पहले ही अपने स्तर पर कई आंतरिक सुधार शुरू कर दिए हैं.” उन्होंने कहा कि HECI रेगुलेशन, एक्रेडिटेशन और प्रोफेशनल स्टैंडर्ड को बनाए रखने का काम करेगा. वहीं, चौथा वर्टिकल यानी फंडिंग इसमें शामिल नहीं होगा. उसकी जिम्मेदारी प्रशासनिक मंत्रालय पास ही रहेगी.
क्या होंगे HECI के फायदे? हायर एजुकेशन के लिए एक रेगुलेटिंग होने के कई फायदे होंगे. सबसे पहले, यह भारत में एक आदर्श शिक्षा प्रणाली सुनिश्चित करेगा. दूसरा, इससे सरकार के लिए इन संस्थानों को रेगुलेट करना आसान हो जाएगा. तीसरा, यह सुनिश्चित करेगा कि ये संस्थान समान दिशानिर्देशों और विनियमों का पालन करें. चौथा, यह इन संस्थानों के कामकाज में पारदर्शिता को बढ़ावा देगा.
बता दें कि भारतीय उच्च शिक्षा परिषद विधेय (HECI Bill) 2018 में पेश किया गया था. हालाँकि, इसे एनईपी 2020 के आने के साथ अंतिम रूप दिया गया था. वहीं 2021 में इसे पेश करने का कदम उठाया गया. इसके बाद अब इस बिल को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करने की तैयारी है.