बेंगलुरु, 29 अगस्त 2023: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 2 सितंबर को भारत का पहला अंतरिक्ष आधारित सूर्य अवलोकन केंद्र, Aditya-L1 लॉन्च करेगा। यह मिशन सूर्य के बारे में हमारी समझ को गहरा करने में मदद करेगा।
Aditya-L1 का मिशन
Aditya-L1 का मिशन सूर्य के वायुमंडल, कोरोना के बारे में विस्तार से अध्ययन करना है। यह मिशन एल1 (सूर्य-पृथ्वी लाग्रेंज बिंदु) के चारों ओर की कक्षा में होगा, जो पृथ्वी और सूर्य के बीच एक बिंदु है जहां गुरुत्वाकर्षण का संतुलन होता है। इस कक्षा से, Aditya-L1 सूर्य का अध्ययन बिना पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के कर सकेगा।
Aditya-L1 के उपकरण
- Aditya-L1 सात उपकरणों से लैस होगा, जो सूर्य के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करेंगे। इन उपकरणों में शामिल हैं:
- एक पराबैंगनी स्पेक्ट्रोमीटर सूर्य के वायुमंडल के पराबैंगनी प्रकाश का अध्ययन करेगा।
- एक एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर सूर्य के वायुमंडल के एक्स-रे प्रकाश का अध्ययन करेगा।
- एक हेलीओसॉनिक इंस्ट्रूमेंट सूर्य के कोरोना से आने वाले ध्वनि तरंगों का अध्ययन करेगा।
- एक चुंबकीय क्षेत्र मापने वाला उपकरण सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करेगा।
- एक इलेक्ट्रॉन गतिशीलता मापने वाला उपकरण सूर्य के कोरोना में इलेक्ट्रॉनों की गतिशीलता का अध्ययन करेगा।
- एक आयन गतिशीलता मापने वाला उपकरण सूर्य के कोरोना में आयनों की गतिशीलता का अध्ययन करेगा।
Aditya-L1 के लाभ
Aditya-L1 का मिशन सूर्य के बारे में हमारी समझ को कई तरह से बढ़ाने में मदद करेगा। यह मिशन हमें सूर्य के वायुमंडल की संरचना और गतिशीलता के बारे में अधिक जानने में मदद करेगा। यह मिशन हमें सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र के बारे में भी अधिक जानने में मदद करेगा। सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र सूर्य के वायुमंडल के कई पहलुओं को नियंत्रित करता है, जिसमें सौर विस्फोट और कोरोनाल मास इजेक्शन शामिल हैं।
Aditya-L1 का महत्व
Aditya-L1 का मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह मिशन भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करता है। यह मिशन हमें सूर्य के बारे में हमारी समझ को गहरा करने में मदद करेगा, जो पृथ्वी के लिए महत्वपूर्ण है।
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